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Three Things by Dr. Shreesh
क्या है NAM संपर्क समूह?
- The Coordinating Bureau of the NAM सदस्य देशों के साथ पारस्परिक संपर्क और सहयोग की निरंतरता के लिए प्रयत्न करती रहती हैl
- The Coordinating Bureau of the NAM इस कार्य के लिए बनायीं गयीं विभिन्न वर्किंग कमेटीज, टास्क फोर्सेज, कांटेक्ट ग्रुप्स एवं अन्य कमेटीज की नदेखरेख करती रहती है l
- NAM संपर्क समूह, सदस्य देशों से संपर्क सूत्रों को अपडेट कर उन्हें आपस में सतत जोड़े रखने की कोशिश करती है l
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Image Source: www.narendramodi.in |
क्यों महत्वपूर्ण है Online Summit of NAM Contact Group?
- भारत की विदेश नीति की कोई भी विवेचना, NAM के उल्लेख के बिना पूरी नहीं हो सकती l शीत युद्ध के बाद नए-नवेले आजाद हुए देशों के लिए एक सक्रिय मंच के तौर पर इसकी उपयोगिता मद्धम पड़ती गयी क्योंकि अब दुनिया द्विध्रुवीय राजनीति के चंगुल से मुक्त हो गयी थी l
- शीत युद्ध के बाद भी चूँकि NAM के उद्देश्यों की पूर्ति अभी भी नहीं हो सकी है तो एक मंच के तौर पर इसकी उपयोगिता समाप्त नहीं हुई थी और फिर भारतीय विदेश नीति की कुछ चुनिंदा प्रारम्भिक उपलब्धियां NAM के खाते से आयीं तो भारत ने NAM की नीति से कभी भी पूरी तरह से मुँह नहीं मोड़ा l NAM, सदस्य देशों के अगुवा के रूप में भारत अपनी एक वैश्विक भूमिका को रेखांकित करता रहा l
- अब जबकि पिछले कुछ समय से देश में गैरकांग्रेस सरकारों का बोलबाला रहा है तो उन्होंने NAM को कभी भी एक उचित मंच या नीति नहीं समझा है जो कि अभी की वैश्विक राजनीति की परिस्थितियों में प्रासंगिक हो l विशेषकर मोदी सरकार ने इसमें हाल तक कोई भी रूचि नहीं दिखायी थी l Online Summit of NAM Contact Group वह पहला सम्मलेन है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया और एक सार्थक मंच के रूप में इसकी सार्थकता बतायी l
प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के संबोधन की क्या तीन ख़ास बातें ?
- प्रधानमन्त्री ने 4 मई, 2020 के अपने आभासी उद्बोधन में NAM की भूमिका वैश्विक एकता के लिए महत्वपूर्ण बताया l उन्होंने कहा कि NAM सदा से ही विश्व की नैतिक आवाज रहा है और कहा कि NAM को हमेशा की तरह समावेशी ही होना है l
- Democracy, Discipline और Decisiveness से भारत ने इस आपदकाल में दिखा दिया है कि कैसे एक पुख्ता जनांदोलन खड़ा किया जा सकता है l हालाँकि कुछ लोग अभी भी आतंकवाद, फेक न्यूज, साम्प्रदायिकतावाद आदि जैसी नकारामक गतिविधियों में लगे हुए हैं लेकिन भारत ने अपने पड़ोसियों सहित शेष विश्व को मदद का हाथ बढ़ाया है l भारत ने 59 NAM के सदस्य देशों सहित कुल 123 देशों तक सस्ती दवाएँ, ऑनलाइन मेडिकल ट्रेनिंग आदि मुहैय्या कराया है l
- कोविड-19 ने मौजूदा वैश्विक राजनीतिक व्यवस्था की सीमाओं को उजागर किया है l Fairness, Equality, and Humanity के आधार हमें वैश्वीकरण के लिए नए जमीन की आवश्यकता है, जो आर्थिक विकास से अधिक मानव कल्याण की ओर उन्मुख हों और उनमें सच्चा वैश्विक प्रतिनिधित्व हो l
तीन महत्वपूर्ण निष्कर्ष कौन से ?
- खासा देर से ही सही, मोदी सरकार ने NAM की अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय महत्ता पर मुहर लगा दी l मोदीयुगीन सक्रिय विदेश नीति के दौर में भी पड़ोसियों से उलझे रिश्तों को सुलझाने में NAM की प्रासंगिकता सर्वाधिक है l NAM के उद्देश्य आज भी प्रासंगिक हैं और इसकी अतीत की उपलब्धियाँ भारत को विश्व राजनीति में अपनी नयी भूमिका के लिए जरूरी जमीन देने में सक्षम हैं l मनमोहन सरकार के समय कुछ विद्वानों ने नए विश्व की चुनौतियों में भारतीय विदेश नीति के रचनात्मक विकल्पों को NAM 2.0 का नाम दिया था l मोदी सरकार ने बिना इसका उल्लेख किये इसके सार्थक-प्रासंगिक हिस्से से प्रेरणा ली हैl यह उचित भी है क्योंकि विदेश नीति Continuity और Change के सिद्दांत पर ही चलती है l
- भारत इस कोरोनाकाल में अपनी देशगत जिम्मेदारियों के साथ अपनी वैश्विक प्रतिबद्धता को निभाने में भी पीछे नहीं है l अगर यह एक स्वास्थ्य आपदा है तो भारत दुनिया में सस्ती दवाओं के लिए विख्यात है l इस तर्क से भारत के वैश्विक भूमिका की अपरिहार्यता सिद्ध होती है l
- NAM देशों का आह्वाहन उल्लेखनीय है ऐसे समय में जबकि वे स्वयं ही आपदा से जूझ रहे हैं लेकिन ऐसे समय में भी भारत NAM के माध्यम से पारस्परिक सहयोग से अपनी एक सार्थक वैश्विक उपस्थिति के लिए तत्पर है l
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