Weekly Program on World Affairs

 



✍️ईरान-अमेरिका हालिया संघर्ष: डॉ. श्रीश

08/01/2020



अभी पूरी दुनिया ने दम साधकर डोनाल्ड ट्रंप को सुना। ईरानी स्टेट ऐक्टर के एक सशक्त प्रतिनिधि कासिम सुलेमानी की जब अमेरिका ने हत्या की तो पूरे विश्व के लिए यह एक बेहद महत्वपूर्ण खबर थी। महाभियोग और दूसरे कार्यकाल की महत्वाकांक्षा के दबाव में ट्रंप ने आखिरकार ईरान में अपना ओसामा ढूँढ लिया। ईरान के जर्रे-जर्रे में जब बदले की भावना उमड़ पड़ी तो पश्चिमी एशिया और विश्व के बाकी देशों में एक सिहरन थी कि कहीं इससे एक युद्ध की शुरुआत न हो जाय। ईरान ने ईराक स्थित अमरीकी बेस पर बैलिस्टिक मिसाइल अटैक किया भी और दावा किया कि कम से कम 80 अमरीकी मारे गए, अभी ट्रंप ने अपने भाषण में निश्चित किया कि कोई भी अमरीकी नहीं मारा गया है।

ट्रंप की इस स्पीच का पूरे विश्व को इंतजार था कि आखिर इस मिसाइल अटैक के बाद अमेरिका का अगला कदम क्या होगा। ट्रंप ने आतंकवाद और परमाणु बम का मुद्दा कई बार उठाते हुए ईरान के निवासियों को अंततः कहा कि वे उनकी समृद्ध भविष्य की आशा करते हैं जिसके वे काबिल भी हैं। आशा के विपरीत ट्रंप की यह स्पीच जैसे उनके इलेक्शन कैंपेन का आगाज जैसी थी, जिसमें बार बार वे अपने एडमिनिस्ट्रेशन की तारीफ किए जा रहे थे।

यह सर्वविदित है कि ईरान क्या, पश्चिम एशिया का कोई भी इकलौता देश अमेरिका से सीधे युद्ध में नहीं भिड़ सकता जबकि उसे रूस और चीन का प्रत्यक्ष सामरिक समर्थन न हो, जो कि इतना आसान नहीं। ईरान थोड़ा बहुत कूटनीतिक और गुरिल्ला युद्ध में अमेरिका से दो हाथ कर सकता है लेकिन सीधा युद्ध वह कभी नहीं चाहेगा। आगामी चुनावी वर्ष को देखते हुए अमेरिका भी पश्चिम एशिया में इतने गहरे नहीं फंसना चाहेगा। फ़िलहाल ट्रंप ने अपना हित साध लिया है, दिखाने भर को ईरान ने भी बदला ले ही लिया है।

अब सब ठीक ही है। कम से कम ऐसा तो अब नहीं लगता कि कोई बड़ी संभावना है इस संघर्ष के अब किसी खतरनाक स्तर पर पहुँचने की।

#श्रीशउवाच

Comments