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#Bhutan_Election_Result
सुनहले से देश भूटान ने अपने पहले आम चुनाव में डीपीटी, दूसरे में पीडीपी और आज तीसरे में तीसरी पार्टी डीएनटी को विजय दिला दी है। जहाँ के राजा ने कभी घर-घर जाकर लोकतंत्र की पैरवी की थी और जहाँ आज भी राजा कुछ यों देवतुल्य समझे जाते हैं कि नन्हे राजकुमार भी दीवानों की तरह दुलारे जाते हैं, वहाँ की जनता ने तीन आम चुनावों में तीन अलग अलग दल चुनकर जता दिया है कि लोकतांत्रिक प्रयोग इस बौद्धप्रधान देश ने स्वीकार लिया है।
इसबार मुकाबला डीपीटी और नई पार्टी डीएनटी में था। डीपीटी का झुकाव जहाँ तनिक चीन की तरफ समझा जाता है, वहीं नई पार्टी डीएनटी का रुख अभी साफ नहीं है। फिर भी डीएनटी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में जिस तरह से भारत की चर्चा की है, यह आशा की जा सकती है कि भूटान की अगली डीएनटी सरकार, भारत से अपने संबंधों को परंपरागत महत्व देती रहेगी।
डीएनटी से संभावित प्रधानमंत्री पचास वर्षीय लोते शेरिंग पेशे से सर्जन हैं और लोकतांत्रिक-समाजवादी रुख रखते हैं।
सुनहले से देश भूटान ने अपने पहले आम चुनाव में डीपीटी, दूसरे में पीडीपी और आज तीसरे में तीसरी पार्टी डीएनटी को विजय दिला दी है। जहाँ के राजा ने कभी घर-घर जाकर लोकतंत्र की पैरवी की थी और जहाँ आज भी राजा कुछ यों देवतुल्य समझे जाते हैं कि नन्हे राजकुमार भी दीवानों की तरह दुलारे जाते हैं, वहाँ की जनता ने तीन आम चुनावों में तीन अलग अलग दल चुनकर जता दिया है कि लोकतांत्रिक प्रयोग इस बौद्धप्रधान देश ने स्वीकार लिया है।
इसबार मुकाबला डीपीटी और नई पार्टी डीएनटी में था। डीपीटी का झुकाव जहाँ तनिक चीन की तरफ समझा जाता है, वहीं नई पार्टी डीएनटी का रुख अभी साफ नहीं है। फिर भी डीएनटी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में जिस तरह से भारत की चर्चा की है, यह आशा की जा सकती है कि भूटान की अगली डीएनटी सरकार, भारत से अपने संबंधों को परंपरागत महत्व देती रहेगी।
डीएनटी से संभावित प्रधानमंत्री पचास वर्षीय लोते शेरिंग पेशे से सर्जन हैं और लोकतांत्रिक-समाजवादी रुख रखते हैं।
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